मंगल दोष के लक्षण और उपाय जाने से पहले मंगल के बारे में जानना बहुत जरूरी है मंगल जीवन में एनर्जी, Aggression, Passion और लड़ने की ताकत देता है शरीर में जो ब्लड है वह मंगल है। किसी के भी जीवन में यह सब चीजें भी बहुत जरूरी होती हैं क्योंकि किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए जिसकी जरूरत होती है मंगल देता है
मंगल यदि पहले चौथे सातवें आठवें और 12 घर में हो तो उसे मंगल दोष कहते हैं परंतु इसके लिए बहुत कुछ देखना आवश्यक है किसके साथ वह बैठा है उस की डिग्री कितनी है उसकी दृष्टि कौन सी है मंगल दोष भंग हो रहा है या बाकी ग्रहों की स्थिति कुंडली में कैसी है बिना इन सब चीजों को जाने नहीं कहा जा सकता कि मंगल दोष कुंडली में क्या फल देगा
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सन और मून किस-किस प्लैनेट को कंट्रोल करते हैं?
मेष मिथुन सिंह तुला धनु कुंभ (0-15) degree को सूर्य कंट्रोल करता है और बाकी की बची हुई राशियों को (16-30) डिग्री को चंद्रमा कंट्रोल करता हैमंगल यदि सूर्य की होरा में हो तो क्या प्रभाव डालता है?
यदि मंगल सूर्य की होरा में हो आग में घी का काम करेगा और भी ज्यादा अग्रेसिव वायलेंट बना देता है एनर्जी से भरपूर और ज्यादा पैशनेट बना देता हैमंगल यदि चंद्रमा की होरा में है तो क्या प्रभाव डालता है?
मंगल चंद्रमा की होरा में है तो यह मंगल को शांत कर देता है जिनकी कुंडली में मंगल चंद्रमा की होरा मैं होगा तो उतना खराब फल नहीं देगामंगल की कौन-कौन सी दृष्टियां होती हैं?
मंगल की कुंडली के अंदर तीन दृष्टियां होती है चौथी दृष्टि सातवीं दृष्टि और आठवीं दृष्टि होती है।मंगल की चौथी दृष्टि कुंडली में क्या प्रभाव डालती है?जब मंगल कुंडली में चौथी दृष्टि से जिस भी घर
को देखता है तो वह उस घर को बचाने के लिए पूरा प्रयास करता है।
परंतु यदि किसी की भी शादी के लिए कुंडली देखी जाती है और मंगल दोष पाया जाए तो नवमांश कुंडली जरूर देखनी चाहिए क्योंकि शादी के लिए वह सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट होती है।
मंगल की सातवीं दृष्टि कुंडली में क्या प्रभाव डालती है?
मंगल की सातवीं दृष्टि जिस भी घर पर पड़ती है उस घर में मंगल dominant होता है।मंगल की आठवीं दृष्टि कुंडली में क्या प्रभाव डालती है?
मंगल की आठवीं दृष्टि बदलाव को बताती है किसी भी चीज को खत्म करके नई शुरुआत को बताती है कई बार देखा गया है यह तबाही को भी बताती है।क्या मांगलिक होने के कुछ फायदे भी होते हैं ?
मंगल दोष के फायदे भी होते हैं वह है मांगलिक व्यक्ति अपने लाइफ पार्टनर को बहुत महत्व देते हैं अपनी और लोगों को आकर्षित कर पाते हैं इनकी लाइफ में जो भी आता है यह उसको पूरी इंपॉर्टेंस देते हैं कई बार देखा गया है कि प्रॉपर्टी भी बहुत जल्दी बना लेते हैं बहुत छोटी उम्र से ही यह लोग फाइनेंशली स्टेबल हो जाते हैपरंतु यदि किसी की भी शादी के लिए कुंडली देखी जाती है और मंगल दोष पाया जाए तो नवमांश कुंडली जरूर देखनी चाहिए क्योंकि शादी के लिए वह सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट होती है।
मंगल को सेनापति कहा जाता है सेनापति जो होता है वह हमेशा आदेश का पालन करता है मंगल में अपनी बहुत energy है साहस है पराक्रम है किसी के भी आत्म बल का कारक होता है मंगल, कुंडली में किन- किन स्थान पर बैठने पर मांगलिक दोष कहा जाता है यह भी जानना बहुत जरूरी है यदि किसी व्यक्ति के लग्न में चतुर्थ भाव में सप्तम भाव में अष्टम भाव में या द्वादश भाव में यदि मंगल बैठा हूं तो उसे मांगलिक कहा जाएगा कैसे कहा जाता है कि मांगलिक दोष व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में दिक्कतें उत्पन्न करता है जैसे विवाह में विलम होना बाधाएं आना आदि । बल्कि कह सकते हैं कि यदि कोई पूर्ण रूप से मांगलिक है तो विवाह के बाद भी शारीरिक मानसिक अधिक कष्ट झेलने पड़ सकते हैं । संतान प्राप्ति में दिक्कत होना या आपस में मधुर संबंध का ना होना इन सभी बातों के लिए मंगल दोष प्रभावित करता है मंगल दोष को इस तरह से समझते हैं यदि किसी के लग्न में मंगल है तो क्योंकि मंगल गुस्से का भी कारक है तो वह व्यक्ति जिसकी कुंडली में मंगल लग्न में है उसे बहुत जल्दी गुस्सा आना स्वाभाविक है ऐसे में उसकी साधी दृष्टि उसके पार्टनर के घर में पढ़ती है जोकि वैवाहिक जीवन में दिक्कत पैदा कर सकती है यदि किसी व्यक्ति के बारहवें भाव में मंगल उपस्थित है तो कई बार देखा गया है कि वह पति पत्नी के आपसी अंतरंग संबंधों का भी होता है और बारहवें भाव से डिवोर्स को भी देखा जाता है तो यदि मंगल बारवे भाव में बैठा है तो वह भी डिवोर्स का कारण बन सकता है, अब देखेंगे यदि किसी व्यक्ति के चतुर्थ भाव में मंगल है तो उसे सुख भाव भी कहते हैं माता का भाव भी कहते हैं तो यदि उस भाव से संबंधित दिक्कत होगी तो घर का सुख माता का सुख परेशानी देता है सातवें घर में मंगल उपस्थित हो तो वह विशेषकर शादीशुदा जिंदगी में परेशानी का कारण बन सकता है यदि एक की कुंडली में मंगल दोष है और दूसरे की कुंडली में मंगल दोष नहीं है तो होता क्या है क्योंकि मंगल साहस का बल का कारक है एक का विचार दूसरे से मेल नहीं खाता, तो आपस में टकराव होने की संभावना बढ़ जाती है । अष्टम भाव को आयु का भाव भी कहते हैं यदि किसी के अष्टम भाव में मंगल उपस्थित हो इसे भी कई बार पति पत्नी के सुख के लिए देखा जाता है कई बार देखा गया है आठवें घर में मंगल होने की वजह से पति पत्नी का एक दूसरे के ऊपर एकाधिकार नहीं हो पाता है
क्या मांगलिक होना अभिशाप है?
नहीं मांगलिक होना कोई अभिशाप नहीं है यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल पहले घर में चौथे घर में सातवें घर में आठवें घर में बारवे घर में हो तो भी मांगलिक का विवाह मांगलिक से किया जाए तो एक nature होने के कारण उनका विवाह चल सकता है परंतु इसका अर्थ यह नहीं है की किसी का भी विवाह मांगलिक से हुआ है तो वह नहीं चलेगा क्योंकि कुंडली में इसके अलावा भी काफी कुछ देखा जाता हैमांगलिक दोष के निवारण के लिए क्या करना चाहिए?
मांगलिक दोष के निवारण के लिए कुंभ विवाह शुभ फलदायक बताया गया है यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष उपस्थित है और दूसरे की कुंडली में उपस्थित नहीं है तो जिसकी कुंडली में मंगल दोष उपस्थित है तो उसे शादी से पहले कुंभ विवाह करने की सलाह दी जाती है जिससे उनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी व्यतीत हो सके ।कुंभ विवाह क्या होता है?
कुंभ विवाह भगवान विष्णु के साथ कराया जाता है भगवान विष्णु तो स्वयं अमर हैं इस विवाह को करने से व्यक्ति का जो विवाह से संबंधित दोष है वह कट जाता है और उसकी शादी में मंगल दोष का प्रभाव नहीं पड़ता है इस कारण से मांगलिक व्यक्ति का कुंभ विवाह कराया जाता है हालांकि मंगल दोष के और भी बहुत सारे उपाय हैं परंतु शादी के लिए कुंभ विवाह को श्रेष्ठ माना गया है । कुछ विद्वानों का मत है कि कई बार बाकी शुभ ग्रहों की स्थिति कुंडली में अच्छी है विशेषकर बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो सातवें भाव पर तो भी विवाह चल जाता है तो केवल मंगल की स्थिति ही नहीं पूरी कुंडली का विश्लेषण गहराई से करना चाहिए तभी किसी निष्कर्ष पर जाना चाहिए