चलिए जानते हैं चंद्र ग्रहण क्या होता है LUNAR ECLIPSE
चंद्र ग्रहण जानने से पहले यह जानना आवश्यक है की ग्रहण क्या होता है जब भी कोई आकाशीय पिंड या ग्रह के सामने दूसरा ग्रह या पिंड आ जाता है और उसे ढक लेता है तो इस कारण से वह दिखाई नहीं पड़ता उसे ग्रहण कहते हैं अब जानते हैं की चंद्र ग्रहण क्या होता है चंद्र ग्रहण में सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक ही लाइन पर होते हैं परंतु सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी होती है जिसके कारण से चंद्रमा को ढक लेती है और सूर्य का प्रकाश उस पर सीधा नहीं पहुंच पाता जिसकी वजह से चंद्रमा को ग्रहण लगता है चंद्र ग्रहण काफी लंबे समय तक लगता है लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चंद्र ग्रहण पूर्णिमा वाले दिन लगता है जानेंगे चंद्र ग्रहण ज्यादा समय तक क्यों लगता है पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है होता यह है पृथ्वी चक्कर लगाती है और चंद्रमा चक्कर लगाता है वह दोनों सेम डायरेक्शन में चक्कर लगाते हैं जिसकी वजह से डिस्टेंस है वह देर तक बना रहता है इस कारण से काफी देर के बाद पृथ्वी चंद्रमा के सामने से हट पाती है आप जानते हैं की पूर्णिमा वाले दिन ही चंद्र ग्रहण क्यों होता है उसका कारण है कि जब पृथ्वी बीच में नहीं होती और चंद्रमा पर सूर्य का पूरा प्रकाश पड़ता है और जब कोई चीज पूरी होगी तभी तो पता चलेगा कि वह ढकी है इस कारण फुल मून के दिन चंद्र ग्रहण होता है चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा हल्का सा दिखाई देता है बाकी लाल रंग का दिखाई देता है जिससे रेड मून के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी के ऊपर चंद्रमा की छाया पड़ती है और किसी भी चीज की दो छाया होती है एक डार्क छाया और एक लाइट छाया डार्क वाली छाया को अंबरा कहते हैं और लाइट वाली छाया को पैन अंबारा कहते हैं वैसे तो दुनिया में ज्यादातर चीजों की डार्क और लाइट छाया होती है | इस तरह चंद्रग्रहण लगता है
चलिए जानते हैं सूर्य ग्रहण क्या होता है | SOLAR ECLIPSE
सूर्य ग्रहण जानने से पहले यह जानना आवश्यक है की ग्रहण क्या होता है। जब किसी आकाशीय पिंड का या ग्रह का पूरा हिस्सा किसी दूसरे ग्रह से ढक जाता है या कुछ हिस्सा ढक जाता है तो उसे ग्रहण कहते हैं।सूर्य ग्रहण शब्द से ही पता चलता है सूर्य को ग्रहण लगा हुआ है सूर्य ग्रहण को इंग्लिश में सोलर क्लिप्स भी कहते हैं सूर्य ग्रहण जब भी होता है तब अमावस होती है सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी अपने अक्ष पर एक ही लाइन मे होते हैं सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है जिस समय चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है उस जगह पर अंधेरा प्रतीत होता है ध्यान रखने वाली बात है की सब जगह अंधेरा नहीं होता सारी पृथ्वी पर ही अंधेरा हो जाए ऐसा नहीं होता। सूर्य पर जब काली मां दिखाई देती है तो वह चंद्रमा होता है परंतु चंद्रमा दिखाई नहीं पड़ता क्योंकि सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पड़ता है सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा होता है जिससे सूर्य का प्रकाश पहले चंद्रमा पर पड़ता है और फिर चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। सीधे शब्दों में समझे कि जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है तब पृथ्वी पर सूर्य की छाया पूरी नहीं दिखाई देती क्योंकि उस समय चंद्रमा बीच में आ जाता है जिसकी वजह से ग्रहण लगता है। सूर्यग्रहण भी तीन प्रकार का होता है पहला आंशिक दूसरा गोलाकार तीसरा पूर्ण सूर्य ग्रहण है | परंतु सूर्य ग्रहण बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। कारण यह है की चंद्रमा अपने एक्सेस पर और पृथ्वी अपने एक्सेस पर दोनों ऑपोजिट डायरेक्शन में चलते हैं जिससे डिस्टेंस बहुत जल्दी खत्म हो जाता है जिसके कारण सूर्य ग्रहण बहुत ही जल्दी हट जाता है सूर्य ग्रहण ज्यादा से ज्यादा 7 मिनट 8 सेकंड का ही हो सकता है सूर्य ग्रहण को डायरेक्ट देखने के लिए मना किया जाता है कई बार पाया गया है कि इससे आंखों की रोशनी तक जाने का खतरा बन सकता है सूर्य ग्रहण अमावस को लगता है इसका कारण है सूर्य की रोशनी चंद्रमा के एक तरफ पड़ती है पृथ्वी जहां से देखती है वहां चंद्रमा काला दिखाई देता है इसलिए सूर्य ग्रहण अमावस को होता है।